Saturday, May 31, 2025

Jeevan ke rang - Hindi Poem

 




रंग बदल गये हैं जीवन के,

खुश हूँ एकान्तिक हरियाली में

चहल-पहल से दूर कहीं हटकर

घर शांत धरा की प्याली में

 

सपनों की दौड़ से थक कर,

रुका था वृक्ष की छाया में,

सुलझाने को उलझे गुथी

इस अतरंगी जग माया में

 

भीड़ की गूंजें छूट गईं अब

हर क्षण मौन अपनाना है

इच्छाओं के ज़ंजीरों पर      

पूर्ण विराम लगाना है

 

रंग वही पर भाव नए अब

पैमानों  के आयाम नए

अब कोई चाह अधूरी,

जग भी पुलकित साया है

 

मौसम बदलते रहते हैं नित दिन

मन भी धुन दोहराता है

नील गगन में मल्हार बनकर

जीवन नए गीत सुनाता है

 

तो हाँ

अब रंग बदल गये हैं जीवन के,

खुश हूँ एकान्तिक हरियाली में

शशि बिखेरती है चांदनी

प्रकाश परोसे थाली में !


jpkallikkal/2025

No comments:

Post a Comment

Mohanlal and Shahrukh Khan - Weaving magic through films

    In the recently held National Film Awards in New Delhi Mohanlal and Shah Rukh Khan, two towering figures of Indian cinema, who embod...